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Dance on Burning fire : भीलवाड़ा के मांडलगढ़ में औघड़नाथजी आसन धाम पर नाथ समाज के अनुयायियों द्वारा अग्नि नृत्य किया गया. यह परंपरा औरंगजेब के समय से चली आ रही है. दावा है सनातन धर्म को चैलेंज करते हुए औरंगजेब …और पढ़ें

अग्नि नृत्य करते अनुयायी
हाइलाइट्स
- भीलवाड़ा में नाथ समाज का अग्नि नृत्य हुआ.
- अंगारों पर नृत्य की परंपरा औरंगजेब के समय से है.
- नाथ समाज के अनुयायी अग्नि नृत्य में भाग लेते हैं.
भीलवाड़ा – राजस्थान प्रदेश अपने खास परंपरा और रियासतों को लेकर कोई दुनिया में एक खास महत्व रखता है. राजस्थान में आज भी कई ऐसे प्राचीन नृत्य है जो लोगों की दातों तले उंगली दबा बैठे. राजस्थान अपने खास प्राचीन नृत्य को लेकर काफी मशहूर है और आज भी कई ऐसे प्राचीन नृत्य है. जो परंपरा के रूप में आज भी अन्य योग द्वारा किए जाते हैं. कुछ ऐसा ही एक अग्नि नृत्य है जो नाथ समाज के अन्य योग द्वारा परंपरा के रूप में आज भी निभाई जा रही है.
भीलवाड़ा के मांडलगढ़ में खटवाड़ा गांव स्थित औघड़ नाथजी आसन धाम पर राज शाही जमाने से नाथ समाज के अनुयायियों द्वारा जलते अंगारों पर प्रसिद्ध अग्नि नृत्य किया जा रहा है. इस नृत्य को देखने के लिए पूरे भीलवाड़ा जिले भर लोग पहुंचते हैं और यह नृत्य पूरी रात भर चलता है.
भीलवाड़ा में हुआ प्राचीन अग्नि नृत्य
भीलवाड़ा के मांडलगढ़ में खटवाड़ा गांव स्थित औघड़नाथजी आसन धाम पर महारुद्र यज्ञ और मूर्ति प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम आयोजन किया जा रहा है इस दौरान देर रात भीलवाड़ा का प्रसिद्ध ‘अग्नि नृत्य’ किया गया. इसके तहत 5 क्विंटल सूखी लकड़ियों से गांव के चौक पर अंगारों की सेज सजाई गई. इसके बाद दहकते अंगारों और लपटों के बीच नाथ संप्रदाय के अनुयायी नाचते हुए निकले. इसकी खास बात यह हैं कि अंगारों पर चलने की यह परंपरा औरंगजेब के राज शाही जमाने से चलती आ रही है.
नाथ संप्रदाय के अनुयायी प्रह्लाद नाथ सिद्ध ने कहा कि 5 क्विंटल सूखी लकड़ी से सेज तैयार की गई थी अंगारों पर नाथ का नाचना भक्ति भाव को प्रकट करता है. यह नृत्य देखने के लिए आसपास के कई गांवों के लोग पहुंचे थे. नृत्य के दौरान अंगारों पर चलना, अंगारों पर बैठना और अलग-अलग मुद्राओं का प्रदर्शन किया जाता है. नाथ समाज के लोग सदियों से यह अग्नि नृत्य करते आ रहे हैं.
मुगल शासक औरंगजेब के सामने किया अग्नि नृत्य
नाथ संप्रदाय के अनुयायी प्रह्लाद नाथ सिद्ध बताया कि सबसे पहले सत्य और सनातन धर्म को साबित करने के लिए औरंगजेब के सामने हमारे समाज के आराध्य जसनाथ महाराज के शिष्य रुस्तम महाराज ने यह डांस किया था. जसनाथ महाराज ने 1539 संवत को बीकानेर जिले के कतरियासर गांव में दावड़ा सरोवर तालाब के किनारे अवतार लिया था. 12 साल की उम्र में ही वे भक्ति में लीन हो गए थे. देश में मुगलों का राज था. औरंगजेब बादशाह था. एक बार औरंगजेब ने जसनाथ महाराज को चैलेंज किया. कहा-आपके सनातन धर्म में ताकत है तो दिल्ली में आओ और अपनी ताकत दिखाओ. महाराज के शिष्य रुस्तम महाराज दिल्ली गए. वहां बादशाह ने अंगारों पर नृत्य करने की डिमांड रख दी.
रुस्तम महाराज ने औरंगजेब से मांगा ताम्रपत्र
औरंगजेब ने एक गड्ढा खुदवाया. उसमें काफी सारे अंगारे भरे और कहा की इस अग्नि में नृत्य करके दिखाओ. आग की इसी धूनी में रुस्तम महाराज को जसनाथ महाराज के दर्शन हुए. भगवान जसनाथ ने रुस्तम से कहा- बेटा घबराने की कोई बात नहीं, लगा दो अंगारों में छलांग. तब रुस्तम महाराज ने ‘फतेह-फतेह’ कहते हुए अंगारों पर अग्नि नृत्य किया. इतना ही नहीं जलती आग से मतीरा (तरबूज) लेकर बाहर आए. उन्हें आग से जरा भी नुकसान नहीं हुआ, तब औरंगजेब ने भी कहा कि आपके धर्म में ताकत है. तब रुस्तम महाराज ने कहा कि मुझे ताम्रपत्र चाहिए. हमारे सनातन धर्म की जय-जयकार होनी चाहिए. बहन-बेटियों की रक्षा होनी चाहिए. गाय और मंदिरों में सेवा होनी चाहिए, तब औरंगजेब ने ताम्रपत्र लिख दिया.
Bhilwara,Rajasthan
February 11, 2025, 15:28 IST
जलते अंगारों और आग की लपटों पर कभी चलते तो कभी बैठते…उसी पर करते हैं नृत्य