ईरान एयर टूर फ्लाइट 956 हादसा: ईरान एयर टूर फ्लाइट 956 हादसा: पायलट की गलती से 119 की मौत, क्‍या थे कारण

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Air Crash: अति आत्‍मविश्‍वास से भरे पायलट ने एक ऐसा फैसला ले लिया, जिसका खामियाजा प्‍लेन में सवार 107 पैसेंजर और 12 क्रू मेंबर को अपनी जान देकर चुकाना पड़ा. ईरान एयर टूर से जुड़े इस प्‍लेन के क्रैश में कोई भी ज…और पढ़ें

लैंडिंग से ठीक पहले हुआ कुछ ऐसा, हवा के साथ बहता चला गया प्‍लेन, फिर आई खबर...

हाइलाइट्स

  • ईरान एयर टूर फ्लाइट 956 हादसे में 119 की मौत.
  • पायलट की गलती से प्लेन पहाड़ी से टकराया.
  • तेज हवाओं और खराब मौसम ने लैंडिंग मुश्किल की.

Airport News: लैंडिंग से ठीक पहले अचानक कुछ हुआ कि करीब 119 पैसेंजर और केबिन क्रू से भरा प्‍लेन हवा के साथ तीन किलोमीटर तक बहता चला गया. अति आत्मविश्वास से भरे पायलट जब तक प्‍लेन को बचाने के लिए कुछ करते, इससे पहले बहुत देर हो चुकी थी. इसके बाद, कुछ ऐसा हुआ, जिसकी कल्‍पना फ्लाइट में मौजूद न ही किसी पैसेंजर ने की होगी और न ही पायलट्स ने ऐसा कुछ सपने में भी सोचा होगा.

दरअसल, यह घटना आज से करीब 23 साल पहले की है. ईरान एयर टूर की फ्लाइट 956 ने 12 फरवरी 2002 की सुबह करीब 7:30 बजे तेहरान से खोर्रामाबाद के लिए उड़ान भरी थी. इस फ्लाइट में 107 पैसेंजर के साथ 12 क्रू मेंबर मौजूद थे. फ्लाइट के टेकऑफ से लेकर लैंडिंग से पहले तक सबकुछ ठीक था, लेकिन लैंडिंग के ठीक पहले कुछ ऐसा हुआ, जिसने प्‍लेन में सवार सभी पैसेंजर और क्रू-मेंबर के लिए आखिरी फ्लाइट बना दिया.

यह भी पढ़ें: पैसेंजर के हैट उतारते ही फ्लाइट में मची चीख-पुकार, दहशत से जर्मनी ने टेके घुटने, फिर US में हो गया कमाल… टॉयलेट से बाहर निकलने के बाद इस पैसेंजर को जिसने देखा उसके मुंह से चींख निकल गई. कोई कुछ कर पाता, इससे पहले यह पैसेंजर कॉकपिट में दाखिल हो गया. इस पैसेंजर की धमकियों के आगे पहले जर्मनी ने घुटने टेके, फिर अमेरिका में कुछ ऐसा हुआ, जिसे किसी ने सपने में भी नहीं सोचा होगा. पूरी घटना जानने के लिए क्लिक करें.

सामान्‍य नेविगेशन सिस्‍टम मुश्किल था लैंड कराना
ईरान एयर टूर का यह प्‍लेन अपने समय पर खोर्रामाबाद एयरपोर्ट पर लैंडिंग की तैयारी में था. लेकिन, इससे ठीक पहले खोर्रामाबाद एयरपोर्ट का मौसम अचानक से बहुत खराब हो गया. विजिबिलिटी की कमी और तेज हवाओं के चलते प्‍लेन को समान्‍य नेविगेशन मैथड्स से लैंड कराना बहुत मुश्किल हो गया था. बावजूद इसके, अति आत्मविश्वास से भरे पायलट ने प्‍लेन को लैंड कराने का आखिरी फैसला ले लिया.

रनवे से तीन किमी बायीं दिशा में हट गया प्‍लेन
खोर्रामाबाद एयर स्‍पेस में हवा की रफ्तार इतनी तेज थी कि प्‍लेन रनवे से करीब तीन किमी दूर हट गया. पायलट्स ने प्‍लेन को रनवे की दिशा में लाने की कई कोशिश की, लेकिन सामान्‍य नेविगेशन सिस्‍टम के चलते यह संभव नहीं हो सका. खो़र्रामाबाद एयरपोर्ट पर सोवियत शैली की नेविगेशन प्रणाली मौजूद नहीं थी, लिहाजा प्‍लेन को IFR (Instrument Flight Rules) की बजाय VFR (Visual Flight Rules) सिस्‍टम से लैंड कराने का फैसला लिया गया.

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कूह-ए सफ़िद पहाडि़यों से जा टकराया विमान
कॉकपिट में मौजूद दोनों पायलट सही निर्णय लेने में काफी देर कर चुके थे. वह चाह कर भी विमान को रनवे की दिशा में नहीं ला पा रहे थे. देखते ही देखते यह प्‍लेन एयरपोर्ट से 24 किमी दूर स्थिति ‘कूह-ए सफ़िद’ की पहाडि़यों के पास पहुंच गया. कोई कुछ समझ पाता, इससे पहले यह प्‍लेन पहाड़ी से जा टकराया. पहाड़ से टकराने के बाद यह‍ विमान सराब-ए-दौरेह गांव के पास जा गिरा.
जमीन में गिरते ही प्‍लेन आग की तेज लपटों से घिर गया.

प्‍लेन में सवार सभी लोगों की हुई मृत्‍यु
इस हादसे में प्‍लेन में सवार सभी लोगों की मृत्‍यु हो गई. मरने वालों में 107 पैसेंजर और 12 केबिन क्रू मेंबर शामिल था. हादसे की जांच के दौरान डीवीआर की जांच में यह भी पता चला कि प्‍लेन के को-पायलट प्‍लेन के अलार्म सिस्‍टम से मिल रही चेतावनियों को लेकर आगाह किया था. लेकिन, कैप्‍टन ने सभी चेतानियों को नजरअंदाज कर आगे बढ़ने का फैसला लिया था. कैप्‍टन का यही फैसला प्‍लेन में सवार सभी 119 लोगों की मौत की वजह बन गया.

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