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MGNREGA Irregularities: ग्वालियर में मनरेगा के तहत कई ग्राम पंचायतों में जॉब कार्ड में गड़बड़ी का मामला सामने आया है. कई गांवों में नाम, पते और फर्जी जॉब कार्ड जारी किए गए हैं. प्रशासन इस मामले की जांच कर रहा ह…और पढ़ें

बनाए जा रहे नकली जॉबकार्ड मुरैना की घटना
हाइलाइट्स
- मध्य प्रदेश में फर्जी जॉब कार्ड से 20 करोड़ की गड़बड़ी.
- ग्राम पंचायत में वोटरों से अधिक जॉब कार्ड जारी.
- मनरेगा में कई फर्जी नाम और खाते पाए गए.
ग्वालियर. मध्य प्रदेश की एक ग्राम पंचायत में 36 लोगों के सरनेम शर्मा और 12 के गुप्ता हैं. अग्रवाल, बंसल, उपाध्याय और पाठक सरकारी रिकॉर्ड के अनुसार मजदूरी कर रहे हैं. वहीं जानकारी प्राप्त करने पर पता चला कि गांव में इस सरनेम के लोग रहते ही नहीं हैं. ग्राम पंचायत में कुल वोटर 2174 हैं. जबकि मजदूरों की संख्या 3709 है. सरकार की योजना महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) में 7 ऐसी ग्राम पंचायते हैं, जिनमें पिछले दो सालों में 20 करोड रुपए की मजदूरी देने की गड़बड़ी सामने आई है.
गांवों के नाम
ये गांव बहरारा जागीर (कैलारस जनपद), नायकपुरा (मुरैना जनपद), सिघोरा (जौरा जनपद), कडावना (सबलगढ़ जनपद), जडेरु , निचली बहराई और कुकरौली (पहाड़ गढ़ जनपद) है.
नाम का गजब का हेराफेरा
बहरारा जागीर ग्राम पंचायत के बहरारा जागीर-देवीपुरा, बूढ़ा बहरारा, नयागांव और नवलपुरा गांव में 2174 वोटर हैं. यहां जॉब कार्ड में एक नाम 34 वर्षीय हरिओम का भी है, जिनके पिता का नाम माखन शर्मा लिखा है. हरिओम का नाम 30 साल की नेहा शर्मा के पिता/पति के रूप में लिखा है. वहीं, 53 साल की अर्चना शर्मा के पति का नाम भी हरिओम दर्ज है. 40 साल की खुशी शर्मा, 53 साल के केतन शर्मा और 18 साल के नितेश शर्मा के जॉब कार्ड में पिता के तौर पर हरिओम का नाम दर्ज है. जबकि 3709 मनरेगा जॉब कार्ड जारी हुए हैं. इनमें से सिर्फ 52 जॉब कार्ड में फोटो हैं. किसी भी कार्ड में पता नहीं लिखा है. पते की जगह बहरारा जागीर लिखा है.
नहीं है गांव में कोई हरिओम
हरिओम की जानकारी करने पर पता चला इस ग्राम पंचायत में हरिओम नाम का कोई व्यक्ति रहता ही नहीं है. वहां के लोग ऐसे किसी नाम वाले व्यक्ति को जानते ही नहीं है. बहरारा जागीर के लोगों ने बताया उनके पास तो जॉब कार्ड है ही नहीं. नवलपुरा गांव में जानकारी प्राप्त करने पर पता चला यहां पर ब्राह्मण और वैश्य सरनेम वाले परिवार रहते ही नहीं है. मात्र एक परिवार है जो यहां पर मंदिर में पुजारी है. वह ब्राह्मण है. इसके अलावा यहां इस सरनेम के लोग नहीं रहते हैं.
जॉब कार्ड में नहीं है गांव का नाम
मनरेगा की वेबसाइट पर जानकारी प्राप्त करने पर पता चला बहरारा जागीर ग्राम पंचायत के 3709 जॉब कार्ड में से 2574 जॉब कार्ड 2023 मई की मतदाता सूची जारी होने के बाद बने हैं, जिनमें से 1135 जॉब कार्ड इसके भी पहले के हैं. 10 लाख, 09 हजार 740 रुपये का भुगतान ब्राह्मण वर्ग के 42 कार्ड में से 36 पर ‘शर्मा’ सरनेम दर्ज है. दो कार्ड पर ‘दंडोतिया’ और एक-एक पर उपाध्याय, पाठक, पाराशर और शुक्ला है. 4 लाख 27 हजार 831 रूपये की मजदूरी 16 जॉब कार्ड पर ट्रांसफर करी गई हैं. 16 जॉब कार्ड वैश्य समाज के सरनेम वाले हैं. इनमें 12 पर गुप्ता, दो पर अग्रवाल, एक पर बंसल और एक पर सिंघल सरनेम दर्ज है. 58 में से 55 खाते एयरटेल पेमेंट बैंक या फिनो बैंक में खोले गए हैं. इन दोनों बैंकों में मात्र मोबाइल नंबर से खाते खोले जा सकते हैं.
सरपंच के करीबी मैनेज करते हैं कई खाता
ग्राम पंचायत में सरपंच की खाते में जो पैसा है वास्तव में वह मनरेगा के द्वारा भुगतान के रूप में आया था, जिनमें से कई खातों पर रोक लगा दी गई है. इन खातों में कुछ कानूनी दावपेच फंसे हुए हैं. वहीं सरपंच अंकिता गुर्जर के पति जगन्नाथ गुर्जर के करीबी गौरीशंकर गुर्जर के घर पहुंचा तो यहां पता चला कि गौरीशंकर गुर्जर ऐसे 30-35 खातों को मैनेज करता है. इनमें से 4 खाते पुलिस मुकदमे के चलते होल्ड कर दिए गए हैं. इन खातों में करीब दो-ढाई लाख रुपए फंसे हैं. जब इनसे यह पूछा गया कि आपका खातों में जो पैसा है वह किसका है तो उन्होंने बताया यह पैसा सरपंच साहब का है, जो उन्हें मनरेगा से प्राप्त हुआ है. जिनमें हमारे खातों का उपयोग हुआ है. यह सारे खाते हमारे परिवार के लोगों के हैं जिनमें से 4 खाते बंद हो चुके हैं बाकी खाते चालू हैं. हमारे पास कुल मिला करके ऐसे 30-35 खाते हैं
जॉब कार्ड में नाम पर बड़ी गड़बड़ी
दो जॉब कार्ड जिनके नंबर 5137 – C और 5155 – C हैं ये दोनों जॉब कार्ड 10 मई 2023 को जारी हुऐ थे. इन दोनों के खाते होल्ड पर हैं. 5137 – C जॉब कार्ड और 5155 – C जॉब कार्ड, इसमें से 5137 – C जॉब कार्ड में गांव का नाम बहरारा जागीर लिखा है, जिसपे न फोटो है और न पता लिखा है. वहीं ये कार्ड 20 साल के जोगेंद्र का है, और इसमें इनके पिता का नाम भी जोगेंद्र लिखा है. वहीं 5155 – C जॉब कार्ड 53 साल के बनवारी का हैं जिस पर पिता का नाम और पता ओर फोटो नहीं है. गांव का नाम बहरारा जागीर लिखा है दोनों ही खाते एयरटेल पेमेंट बैंक में हैं.
पिता की जगह लिखा A,B,C,D
पहाड़गढ़ की कुकरोली ग्राम पंचायत में की मनरेगा जॉब कार्ड में 60 शुरुवाती एंट्री के बाद कुछ कार्ड ऐसे मिलते हैं जिनमें पिता की जगह पर अल्फाबेट लिखे हुए हैं जैसे A,B,C. वहीं गांव में वोटरों की संख्या 1601 है और जॉब कार्ड की संख्या 2691 हैं.
बिना आधार कार्ड बने हैं जॉब कार्ड
एक मुस्लिम परिवार जो जडेरू ग्रामपंचायत के धोबिन गांव में रहता हैं परिवार के मुखिया का नाम रफीक खान है. परिवार पहले मुरैना जिले की ही पारोली पंचायत में रहता था और कुछ सालों पहले ही धोबिनी आया है. परिवार कई सालों से धोबिनी के पते पर आधार और वोटर कार्ड पाने की कोशिश में है, मगर ये जारी नहीं हुए हैं. रफीक के 4 बेटे हैं, जिनमें 3 का नाम मोमिन, नूर मोहम्मद और साहिल है. मोमिन की पत्नी का नाम बिलकिस और साहिल की पत्नी का नाम सलमा है.
वेबसाइट के मुताबिक
मनरेगा की वेबसाइट के मुताबिक, 25 अक्टूबर 2024 को इनके जॉब कार्ड धोबिनी गांव में बने हैं. सभी के खाते ‘फिनो बैंक’ में हैं. रफीक बताते हैं कि उनका या उनके परिवार में किसी का भी मनरेगा में जॉब कार्ड नहीं है और वह कभी मजदूरी करने नहीं गए. जबकि जॉब कार्ड के मुताबिक, उन्होंने 3 से 16 दिसंबर 24 तक राजपुर में तालाब निर्माण कार्य में मजदूरी की थी.
टूटे हाथ से करी मजदूरी
जडेरू पंचायत के रकैरा गांव के रहने वाले मुकेश सेन कहना है वो गाय का दूध बेचते हैं और साथ में नाई का काम करते हैं. उनका नाम वोटर लिस्ट में नहीं है, मगर उनका ओर उनकी पत्नी का जडेरू में मनरेगा जॉब कार्ड बना है. मुकेश ने कहा कि जुलाई 2024 में उनके हाथ में फ्रैक्चर हो गया था तो वह मेहनत-मजदूरी नहीं कर पाते हैं. फिर भी, उनके जॉब कार्ड में दर्ज है कि उन्होंने 1 जुलाई से 5 सितंबर 2024 के बीच 45 दिन मनरेगा में मजदूरी की थी.
मुकेश कि पत्नी घर संभालती है, क्योंकि बच्ची छोटी है. हालांकि, वंदना के जॉब कार्ड के मुताबिक वह सितंबर-अक्टूबर 2024 तक मजदूरी कर रही थीं. इस तरह से ये गड़बड़ी चल रही हैं वहीं प्रशाशन इस मामले पर जाँच कर रहा हैं.
Gwalior,Madhya Pradesh
January 31, 2025, 20:44 IST
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