खिलौने नहीं, असली बाइक से खेलता है ये बच्चा, 7 वर्ल्ड रिकॉर्ड कर चुका अपने नाम!

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Dirt bike racing: कोयंबटूर के 8 साल के रिधिन साई ने डर्ट बाइक रेसिंग में कमाल कर दिखाया है. 7 वर्ल्ड रिकॉर्ड बना चुके रिधिन ने 9 नेशनल और 1 इंटरनेशनल रेस में भाग लिया है. उनका अगला लक्ष्य इंटरनेशनल चैंपियनशिप ज…और पढ़ें

खिलौने नहीं, असली बाइक से खेलता है ये बच्चा, 7 वर्ल्ड रिकॉर्ड कर चुका अपने नाम

रिधिन ऑफ-रोड बाइक रेसिंग में नए रिकॉर्ड बना रहा है

क्या आपने कभी 8 साल के बच्चे को सुपरफास्ट बाइक दौड़ाते देखा है? अगर नहीं, तो कोयंबटूर के रिधिन साई को देखकर आपकी सोच बदल जाएगी. इतनी कम उम्र में जहां बच्चे खिलौनों से खेलते हैं, वहीं रिधिन ऑफ-रोड बाइक रेसिंग में नए रिकॉर्ड बना रहा है. 8 साल की उम्र में इस बच्चे ने 7 वर्ल्ड रिकॉर्ड अपने नाम कर लिए हैं. उसकी रफ्तार और जज़्बा देख हर कोई हैरान रह जाता है.

कैसे बना ये बच्चा रेसिंग चैंपियन?
रिधिन एसएनवी ग्लोबल स्कूल में पढ़ता है और अब तक 9 नेशनल और 1 इंटरनेशनल रेस में भाग ले चुका है. इस उम्र में जहां बच्चे साइकिल चलाना सीखते हैं, वहीं यह नन्हा रेसर इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स, एशिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स और वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड्स जैसी बड़ी उपलब्धियां हासिल कर चुका है. रिधिन के रेसिंग करियर की शुरुआत तब हुई जब वह सिर्फ 5 साल का था. उसके पिता आनंद कुमार उसे 2020 में एक रेसिंग इवेंट में ले गए. वहां से उसकी दिलचस्पी इस खेल में बढ़ गई. जब पिता ने पूछा कि क्या वह रेसिंग करना चाहता है, तो रिधिन ने झट से हां कर दी. इसके बाद उसने पीछे मुड़कर नहीं देखा.

पिता का अधूरा सपना बेटा करेगा पूरा
रिधिन के पिता आनंद कुमार खुद भी 13 साल तक रेसिंग कर चुके हैं. लेकिन 2013 में एक दुर्घटना के बाद उन्होंने रेसिंग छोड़ दी. जब उन्होंने अपने बेटे में वही जुनून देखा, तो उन्होंने उसे रेसिंग में आगे बढ़ाने का फैसला किया. रिधिन ने सबसे पहले पॉकेट बाइक से शुरुआत की, फिर 50cc बाइक और अब वह 65cc बाइक चला रहा है. हालांकि, अभी वह सिर्फ 8 साल का है, इसलिए उसके पास एफएफएससी लाइसेंस नहीं है. उसे यह लाइसेंस 10 साल की उम्र में मिलेगा. फिलहाल उसके पिता ही उसे ट्रेनिंग दे रहे हैं और उसे एक चैंपियन बनाने की तैयारी में लगे हैं.

स्पॉन्सर और टीम की बड़ी भूमिका
रिधिन को ‘थ्रॉटलर’ टीम स्पॉन्सर कर रही है. इसके अलावा, मैकेनिकल सपोर्ट के लिए सेंटिल और रमेश उसकी मदद कर रहे हैं. हर ट्रेनिंग के बाद बाइक की सर्विस जरूरी होती है, जिससे उसकी परफॉर्मेंस बेहतर बनी रहे. एसएनवी ग्लोबल स्कूल ने रिधिन को पूरी स्कॉलरशिप दी है ताकि वह पढ़ाई और रेसिंग दोनों में आगे बढ़ सके. माता-पिता भी हर कदम पर उसके साथ खड़े हैं. उसकी मां सोना आनंद कुमार बताती हैं कि उनका बेटा बेहद एक्टिव है. अब तक वह 34 इवेंट्स में हिस्सा ले चुका है और 31 बार पोडियम फिनिश किया है.

कोयंबटूर बना रेसिंग का नया गढ़
कोयंबटूर लंबे समय से मोटर रेसिंग का केंद्र रहा है. 1980 से यहां ऑटोक्रॉस और डर्ट बाइक रेसिंग होती आ रही है. अब यह खेल केरल और कर्नाटक जैसे राज्यों में भी तेजी से फैल रहा है.

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