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Kumari Great Wall: तमिलनाडु के कुमारी जिले में स्थित 25 किमी लंबी कुमारी ग्रेट वॉल, चीन की दीवार जैसी दिखती है. आय राजाओं ने इसे आक्रमणों से बचाव के लिए बनाया था. अब इसके अवशेष पर्यटन स्थल बनने की संभावनाओं से …और पढ़ें

कुमारी ग्रेट वॉल
तमिलनाडु के कुमारी जिले में एक रहस्यमयी दीवार मौजूद है, जिसे ‘कुमारी ग्रेट वॉल’ कहा जाता है. यह दीवार लगभग 25 किलोमीटर लंबी है और देखने में चीन की प्रसिद्ध दीवार की तरह लगती है. इतिहासकारों का मानना है कि इसे आक्रमणों से बचाव के लिए बनाया गया था. यह ऐतिहासिक दीवार आज भी इतिहास प्रेमियों और पर्यटकों को आकर्षित करती है.
आय वंश का गौरवशाली इतिहास
कुमारी जिला, जिसे पहले नांजिल नाडु कहा जाता था, 10वीं सदी तक आय वंश के शासकों के अधीन था. यह क्षेत्र अपनी उर्वर भूमि और जल स्रोतों के कारण बहुत महत्वपूर्ण था. यही कारण था कि पड़ोसी राज्यों की हमेशा इस पर नजर रहती थी और समय-समय पर यहां आक्रमण होते रहते थे.
लगातार आक्रमणों से बचाव की जरूरत
संगम काल से लेकर 18वीं सदी की शुरुआत तक इस क्षेत्र में कई युद्ध हुए. आय राजाओं ने अपनी सीमाओं की सुरक्षा के लिए कई प्रयास किए. आरलवायमोजी मार्ग, जो उस समय एक महत्वपूर्ण सैन्य मार्ग था, की रक्षा के लिए एक विशाल पत्थर की दीवार का निर्माण किया गया.
आरलवायमोजी: आय नाडु का प्रवेश द्वार
आरलवायमोजी मार्ग आय नाडु का मुख्य प्रवेश द्वार था, जिससे होकर चेरा नाडु पहुंचा जा सकता था. इसी कारण, इस मार्ग की सुरक्षा बेहद महत्वपूर्ण थी. इसे मजबूत बनाने के लिए पहाड़ियों को जोड़कर समुद्र तक पत्थर की दीवार बनाई गई, ताकि आक्रमणकारियों को रोका जा सके.
दीवार के निर्माण और विस्तार का इतिहास
इस दीवार का निर्माण 8वीं सदी में किया गया था. शुरू में यह दीवार मिट्टी से बनी थी, लेकिन बाद में इसे मजबूत बनाने के लिए पत्थरों का इस्तेमाल किया गया. आय राजा करुणानंदकन ने इसे पुनर्निर्मित किया, और 1729 में त्रावणकोर के राजा मार्तंड वर्मा ने इसे पत्थरों से और मजबूत किया.
युद्धों में क्षतिग्रस्त हुई ऐतिहासिक दीवार
समय के साथ-साथ कई युद्धों के कारण यह दीवार नष्ट हो गई. 1809 में अंग्रेज अधिकारी कर्नल लीगर की सेना ने थलवाय वेलुथाम्बी की सेना को हराकर इस दीवार को काफी हद तक नष्ट कर दिया. आज केवल इसके कुछ अवशेष ही बचे हैं, जिन्हें कुछ स्थानों पर देखा जा सकता है.
आज भी मौजूद हैं दीवार के अवशेष
आज भी इस दीवार के कुछ हिस्से आरलवायमोजी अन्ना कॉलेज, मुरुगन कुंड्रम और रामनाथिचनपुदुर में देखे जा सकते हैं. 1970 में इस ऐतिहासिक स्थल के कुछ भागों को अन्ना कॉलेज को कक्षा के रूप में उपयोग करने के लिए दे दिया गया था.
पर्यटन स्थल बनने की संभावना
अब इस दीवार के स्थान पर नई कन्याकुमारी-तिरुनेलवेली राष्ट्रीय राजमार्ग पर सूचना पट्टिकाएं लगाई गई हैं, जो इसके ऐतिहासिक महत्व को दर्शाती हैं. यहां घूमने आए एक पर्यटक भगवत ने कहा, “मैंने देखा कि यहां चेरा और पांड्य राज्यों की सीमाओं से जुड़ी जानकारी दी गई है. दीवार के अवशेष अब भी मौजूद हैं. अगर इसे संरक्षित किया जाए, तो यह एक प्रमुख पर्यटन स्थल बन सकता है.”
February 17, 2025, 12:19 IST
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