छतरपुर में बढ़ती शिला का रहस्य… वर्षों पहले थी संकरी, अब विशाल प्रवेश द्वार! कैसे हुआ यह चमत्कार?

Agency:News18 Madhya Pradesh

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Chhatarpur News: छतरपुर के मुड़ेरी गांव में स्थित एक चमत्कारी शिला तेजी से बढ़ रही है. पहले इसका द्वार इतना छोटा था कि बच्चे भी लेटकर गुजरते थे, लेकिन अब बुजुर्ग भी आसानी से अंदर जा सकते हैं. ग्रामीणों के अनुसा…और पढ़ें

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मुड़ेरी

मुड़ेरी गांव पहाड़ में स्थित चमत्कारिक शिला 

हाइलाइट्स

  • छतरपुर के मुड़ेरी गांव में चमत्कारिक शिला तेजी से बढ़ रही है.
  • शिला का द्वार अब इतना बड़ा है कि बुजुर्ग भी आसानी से निकलते हैं.
  • ग्रामीणों ने शिला पर मंदिर बना दिया, नंदीश्वर महाराज के दर्शन होते हैं.

छतरपुर. जिले के मुड़ेरी गांव में पहाड़ की उंचाई पर स्थित एक ऐसी चमत्कारिक शिला है जो तेज़ी से बढ़ रही है. मान्यता है कि पिछले 20 साल पहले इस शिला का द्वार इतना छोटा था कि बच्चे भी यहां से लेटकर निकलते थे. लेकिन अब इस शिला का द्वार इतना बढ़ गया है कि बड़े बुजुर्ग भी शिला द्वार के भीतर पहुंचकर नंदीश्वर महाराज के दर्शन करते हैं. जानिए धार्मिक मान्यता…

गांव के पुजारी रामकरन शुक्ला लोकल 18 से बातचीत में बताते हैं कि पहाड़ के ऊपर एक ऐसी अद्भुत शिला है जो अपने चमत्कार के लिए जानी जाती हैं. दरअसल, इस शिला के भीतर नंदीश्वर महाराज का स्थान है. नंदीश्वर महाराज के दर्शन करने के लिए सभी लोगों को शिला के द्वार से होकर गुजरना पड़ता है. बता दें, सालों पहले इस शिला का द्वार इतना छोटा था कि बच्चे भी लेटकर भीतर जा पाते थे. लेकिन अब शिला का द्वार इतनी तेजी से बढ़ा है कि बच्चों से लेकर जवान-बूढ़े तक आसानी से शिला के द्वार से प्रवेश कर लेते हैं.

हर साल उठती है शिला 
पुजारी बताते हैं कि आज 20 साल पहले शिला के भीतर भी जाना मुश्किल था. लेकिन अब शिला के भीतर तो प्रवेश करते ही हैं साथ ही शिला के भीतर भी आराम से लोग बैठे रहते हैं. शिला भीतर से पहले इतनी ऊंची नहीं थी और न ही इतनी जगह थी. लेकिन अब द्वार के साथ ही भीतर भी शिला बढ़ी है.

ग्रामीणों का ये है कहना 
ग्रामीण शिवकुमार बताते हैं कि मैं जब छोटा था तो लेटकर जाया करता था. आज मैं 35 साल का हो गया हूं. आज शिला द्वार इतना उठ गया है कि आसानी से भीतर प्रवेश कर नंदीश्वर महाराज के दर्शन कर सकते हैं. बता दें, शिला के भीतर ग्राम देवता नंदीश्वर महाराज का स्थान है. मान्यता है कि ग्राम देवता नंदीश्वर महाराज 2-3 पीढ़ियों से यहां विराजमान हैं. साथ ही उनके गण भी यहां विराजमान हैं.

वहीं योगेश कुशवाहा बताते हैं कि मुझे याद है जब भईया की बधाई पूजने में यहां आए थे तो द्वार से लेटकर निकले थे. हालाकि, इसके बाद भी यहां आया हूं तब भी लेटकर निकलते थे. लेकिन अब 20 साल बाद इस अद्भुत शिला द्वार से आसानी से निकल जाते हैं. सचमुच ये चमत्कार है या कुछ और लेकिन जो हमनें देखा है यही कटु सत्य है.

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