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Chhatarpur News: छतरपुर के सिंहपुर गांव में उर्मिल नदी के किनारे स्थित एक प्राचीन शिला पर भगवान राम के चरण चिन्ह बने हुए हैं. इसे ‘चरण पादुका’ के नाम से जाना जाता है.यह स्थल त्रेतायुग से जुड़ा है, जब भगवान राम …और पढ़ें

उर्मिल नदी किनारे स्थित चरण पादुका शिला
हाइलाइट्स
- छतरपुर के सिंहपुर गांव में भगवान राम के चरण चिन्ह वाली शिला है।
- इस शिला को ‘चरण पादुका’ के नाम से जाना जाता है।
- मकर संक्रांति पर यहां हर साल मेले का आयोजन होता है।
छतरपुर. छतरपुर के संजयनगर के समीप स्थित सिंहपुर गांव से निकली उर्मिल नदी किनारे एक ऐसी प्राचीन शिला है, जहां भगवान श्री राम के चरण चिन्ह बने हुए हैं. इसलिए ये स्थान चरण पादुका के नाम से जाना जाता है. बता दें, इस स्थान के नाम का इतिहास भगवान श्री राम के वनवास यात्रा से जुड़ा है.
चरण पादुका स्थित राम-जानकी मंदिर के पुजारी सुरेश दास
लोकल 18 से बातचीत में बताते हैं कि यह बहुत ही प्राचीन स्थान है. त्रेतायुग में जब भगवान श्री रामचन्द्र चित्रकूट से वनवास के लिए दक्षिण दिशा की ओर गमन कर रहे थे, तो यहां उर्मिल नदी स्थित एक विशाल शिला पर खड़े होकर प्रभु श्री राम ने स्नान के बाद सूर्य भगवान को जल दिया था. तभी से इस शिला पर उनके चरण चिन्ह बन गए. इसके बाद ये पवित्र स्थान चरण पादुका के नाम से प्रसिद्ध हो गया.
सालों से लग रहा है यहां मेला
पुजारी बताते हैं कि यहां सालों से मकर संक्रांति पर्व पर हर साल मेले का आयोजन भी होता है. इस दिन बड़े-बड़े अधिकारी और नेता आते हैं.
पुरखों से सुनते आए हैं लोग
वहीं शिक्षक हेमंत तिवारी बताते हैं कि हम पुरखों से सुनते आए हैं कि इस स्थान पर भगवान श्री राम जब दक्षिण दिशा में गमन कर रहे थे तो उन्होंने स्नान के बाद सूर्य नमस्कार किया जब चढ़ाया तो इस शिला पर बैठ गए फिर यहीं से खड़े होकर सूर्य देव को जल दिया तब से इस शिला पर भगवान श्री रामचन्द्र के चरण चिन्ह बन गए.
Chhatarpur,Madhya Pradesh
February 02, 2025, 16:35 IST
त्रेतायुग से जुड़ा है इस शिला का संबंध, भगवान राम के चरण चिन्ह से जुड़ा रहस्य