देवी नहीं, नाग नहीं, यहां बिल्ली की होती है पूजा! थूक में प्रसाद और मरने पर अंतिम संस्कार भी होता

Agency:Local18

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Karnataka Cat temple: कर्नाटक के मांड्या के बेक्कलाले गांव में बिल्ली मंगम्मा देवी के रूप में पूजी जाती है. यहां बिल्ली का थूक प्रसाद माना जाता है और बिल्ली को हानि पहुंचाने पर मुसीबतें आती हैं.

यहां बिल्ली की होती है पूजा! थूक में प्रसाद और मरने पर अंतिम संस्कार भी होता

कर्नाटक के बेक्कलाले गांव में बिल्ली की पूजा

हाइलाइट्स

  • कर्नाटक के बेक्कलाले गांव में बिल्ली की पूजा होती है.
  • बिल्ली का थूक प्रसाद माना जाता है.
  • बिल्ली को हानि पहुंचाने पर मुसीबतें आती हैं.

मांड्या: अब तक आपने मंदिरों में देवी-देवताओं की पूजा सुनी होगी, नाग देवता की महिमा भी सुनी होगी, मगर क्या कभी किसी को बिल्लियों की पूजा करते देखा है? नहीं ना? लेकिन ऐसा हो रहा है. वो भी हमारे देश में, दरअसल, कर्नाटक के मांड्या के बेक्कलाले गांव, जहां बिल्ली सिर्फ एक पालतू जानवर नहीं, बल्कि देवी है. जी हां, बिल्ली मंगम्मा देवी के रूप में यहां के लोग न केवल बिल्ली की पूजा करते हैं, बल्कि उसकी कृपा से अपनी परेशानियों का हल भी ढूंढते हैं.

गांव का नाम ही पड़ा ‘बिल्ली’ के नाम पर
बता दें कि अब आप सोच रहे होंगे कि इस गांव का नाम बेक्कलाले ही क्यों पड़ा? तो भाई, इसके पीछे भी एक दिलचस्प कहानी है. गांव के बुजुर्ग बताते हैं कि कई साल पहले एक बिल्ली की समाधि बनाई गई थी, जिसके बाद उसे देवी का दर्जा दिया गया और फिर क्या था, देखते ही देखते यह गांव इस अनोखी परंपरा का गवाह बन गया. अब यहां हर मंगलवार को मंदिर में विशेष पूजा होती है और भक्तगण श्रद्धा से देवी मंगम्मा के दर्शन करने आते हैं.

यहां बिल्ली का थूक भी प्रसाद है
अब यह मत पूछिए कि प्रसाद में क्या मिलता है क्योंकि यहां प्रसाद कोई लड्डू-पेड़ा नहीं, बल्कि बिल्ली का थूक होता है. जी हां, सही सुना आपने! यहां मान्यता है कि बिल्ली का थूक शुभ होता है और इसे स्वीकार करने से जीवन में सुख-समृद्धि आती है. अब इसे आस्था कहें या परंपरा, मगर यहां के लोगों का विश्वास अडिग है.

बिल्ली को हानि पहुंचाई, तो मुसीबत पक्की
यह गांव बिल्ली के लिए जितना प्रेम दिखाता है, उतना ही कड़ा नियम भी है. अगर किसी ने गलती से भी बिल्ली को नुकसान पहुंचाया, तो मान लीजिए कि उसकी परेशानियों की लिस्ट तैयार हो चुकी है. यहां के लोग मानते हैं कि अगर कोई बिल्ली को तकलीफ पहुंचाता है, तो उसके जीवन में अनहोनी हो सकती है. यही वजह है कि अगर किसी बिल्ली की मृत्यु होती है, तो उसका अंतिम संस्कार भी इंसानों की तरह पूरे विधि-विधान से किया जाता है.

बिल्ली मंगम्मा की कृपा से पूरी होती हैं इच्छाएं
चाहे घर की सुख-शांति की बात हो, सेहत की समस्या हो या फिर शादी-ब्याह की चिंता—यहां के लोग हर मुराद लेकर बिल्ली मंगम्मा के दरबार में पहुंचते हैं. उनका विश्वास है कि सच्चे मन से मांगी गई मुरादें जरूर पूरी होती हैं. यही कारण है कि दूर-दूर से लोग यहां अपनी समस्याओं का हल ढूंढने आते हैं.

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तो अगली बार अगर कोई आपसे कहे कि “अरे, बिल्ली रास्ता काट गई, अपशकुन हो गया!”, तो उसे बेक्कलाले गांव की कहानी जरूर सुनाइए क्योंकि यहां बिल्ली सिर्फ रास्ता नहीं काटती, बल्कि भक्तों की किस्मत भी संवारती है.

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