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न्यूजीलैंड में माउंट तरानाकी को कानूनी इंसान का दर्जा मिला है. इसे ते काहुई तुपुआ नाम दिया गया है. माओरी जनजाति इसे पूर्वज मानती है. अब पहाड़ के अधिकारों और जिम्मेदारियों को सरकार ने मान्यता दी है.

इस पहाड़ को कानूनी दर्जा मिलने से उसकी अलग तरह से देखभाल हो सकेगी. (प्रतीकात्मक तस्वीर)
हाइलाइट्स
- माउंट तरानाकी को कानूनी इंसान का दर्जा मिला
- माओरी जनजाति इसे अपना पूर्वज मानती है
- पहाड़ के अधिकारों और जिम्मेदारियों को मान्यता दी गई
पेट्स, पौधों, खिलौनो और यहां तक की कई चीजों को भी अक्सर इंसानों का नाम दे देते हैं और उससे इंसानों जैसा बर्ताव और लगाव दिखाने लगते हैं. पर क्या आपने कभी सुना है कि किसी कुदरती चीज को इंसान का दर्जा मिल गया हो वो भी कानूनी तौर पर? जी हां ऐसा ही हुआ है न्यूजीलैंड में माउंट तरानाकी नाम के एक पहाड़ को इंसान का कानूनी दर्जा मिल गया है और अब सरकार की ओर से उसे सारे अधिकार और जिम्मेदारियां भी दे दी गई हैं.
एक इंसान की तरह से सारे अधिकार
यह पहाड़ माउंट तरानाकी है जिसे अब इसके माओरी नाम तरानाकी मौंगा के नाम से जाना जाता है. नया कानून इस पहाड़ को अतिरिक्त सुरक्षा देने का काम कर रहा है जिससे अब इसे एक व्यक्ति के सारे अधिकार, शक्तियां, कर्तव्य और जिम्मेदारियां मिल जाती हैं. यह कानून दरअसल न्यूजीलैंड सरकार और यहां की स्थानीय जनजाति माओरी के बीच समझौते का हिस्सा है. माओरी जनजाति के लोग लंबे समय से 8261 फुट ऊंचे तरानाकी मौंगा को अपना पूर्वज मानते हैं.
क्या है इस शख्स का नाम?
यह विशेष पहाड़ अब एक कानूनी व्यक्तित्व है और व्यक्ति के तौर पर इसका नाम ते काहुई तुपुआ होगा. कानून तुपुआ को एक जीवित और पूरा का पूरा एक व्यक्ति मानता है. जिसमें तारानाकी और इसके आसपास की चोटियां, जमीन और उनके सभी भौतिक और आध्यात्मिक तत्व शामिल हैं.

पहाड़ को लेकर न्यूजीलैंड में ब्रिटिश ताकतों और माओरी जनजातियों के बीच काफी संघर्ष हुआ है. (प्रतीकात्मक तस्वीर: Canva)
8 लोग होंगे इसका चेहरा और आवाज
कानून के अनुसार स्थानीय माओरी इवी या जनजातियों के चार सदस्य और देश के संरक्षण मंत्री की ओर से नियुक्त चार अन्य लोग एक नई इकाई बनाएंगे जो पहाड़ के “चेहरे और आवाज़” के रूप में काम करेगी. इस कानूनी मान्यता से न्यूजीलैंड के उपनिवेश बनने के बाद से पहाड़ के इलाके से हुए चोरियों को स्वीकार किया गया है. और सरकार इसकी भरपाई भी करेगी. इसके अलावा पहाड़ में रहने वाले जनजातियों को अब पहाड़ की सेहत बनाए रखने के लिए और ज्यादा शक्तियां मिल गई हैं.
बहुत संघर्ष किया है स्थानीय लोगों ने
यह कानून संसद में पास होने के बावजूद भी पहाड़ पर लोग आ जा सकेंगे. लेकिन यह कानून बनवाने में माओरी लोगों को बहुत संघर्ष करना पड़ा जिन्हें अपने अधिकारों के लिए सरकार से बहुत जूझना पड़ा.
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इससे पहले 1840 में भी माओरी जनजातियों और उस समय ब्रिटेश क्राउन ने न्यूजीलैंड के वेटांगी में समझौता किया था. जिसमें माओरियों को उनकी जमीन और संसाधनों पर उनका हक देने का वादा किया गया था. लेकिन यह समझौता तोड़ दिया गया. 1865 में पहाड़ पर कब्जा कर लिया गया और वहां से पर्यटन खेल वगैरह की गतिविधियां शुरू कर दी गईं.
Noida,Gautam Buddha Nagar,Uttar Pradesh
February 07, 2025, 17:37 IST
एक पहाड़ को मिल गया इंसान का दर्जा, सरकार और लोगों को बीच थी तनातनी!