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वैज्ञानिकों ने कई एआई चैट बॉट्स की कुछ खामियां का पता लगता है जिनसे एक्सपर्ट्स तक हैरान है. जहां ये मॉडल कठिन से कठिन पहेलियां सुलझाने में सफल रहती पाई जाते हैं, वहीं वे घड़ी देखकर समय बताने या कैलेंडर संबंधी क…और पढ़ें

एआई समय और तारीख को लेकर किए जाने वाले मामूली कामों में नाकाम रहा. (प्रतीकात्मक तस्वीर: Canva)
हाइलाइट्स
- एआई मॉडल समय और तारीख बताने में असमर्थ पाए गए.
- एडिनबर्ग विश्वविद्यालय के अध्ययन में एआई की खामियां उजागर हुईं.
- एआई थेरेपिस्ट की जगह नहीं ले सकता, स्विस स्टडी का निष्कर्ष.
एआई तकनीक जिसके बारे में कहा जाता है कि वह इतनी होशियार है कि जल्दी ही इंसानों को पीछे छोड़ कर उन राज करने लगेगी. दुनिया में कई एआई चैट बॉट मॉडल कठिन से कठिन पहेली हल करते हैं. कठिन से कठिन परीक्षाएं भी पास कर लेते हैं. लेकिन एक स्टडी ने बहुत ही अजीब सा खुलासा किया है जिससे एक्सपर्ट्स तक हैरान हैं. पाया गया है कि कई एआई मॉडल में ऐसी खामी या खराबी है जिसकी वजह से वे समय तक नहीं बता सकते हैं. इस अध्ययन में कुछ और भी चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं.
कांटों वाली घड़ी के साथ समस्या
अपनी स्टडी में वैज्ञानिकों ने पाया कि है कि कुछ एआई मॉडल्स विश्वसनीयता से कांटों वाली घड़ी देख कर समय सही तरह से नहीं पा रही हैं. इतना ही नहीं, वे कैलेंडर संबंधी कुछ तारीख वाले सवालों के जवाब देने में भी नाकाम हैं. शोधकर्ताओं ने कई डिजाइन वाली घड़ियों से टेस्टिंग की जिसमें रोमन अंक, बिना सेकेंड के काटों, अलग-अलग रंगों के डायल वाली घड़ियां शामिल थी.
कैलेंडर की गणना में समस्या
इतना ही नहीं, ये एआई मॉडल्स कैलेंडर से संबंधित सवालों के जवाब देने में भी नाकाम रहे. वे पुरानी और भविष्य की तारीख निकाल नहीं सके. एडिनबर्ग विश्वविद्यालय के स्कूल ऑफ इन्फॉर्मेटिक्स के रोहित सक्सेना की अगुआई में यह अध्ययन नेचर जर्नल में प्रकाशित हुआ था. उन्होंने बताया कि एआई लोगों के कुछ समान्य से किए जाने वाले काम करने में भी नाकाम रहा. अगर एआई सिस्टम को सफल बनाना है तो इन खामियों को दूर करना बहुत जरूरी होगा.

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थेरेपिस्ट की जगह लेने का सवाल
एआई को लेकर भविष्य में कई नौकरियों में इंसानों की जगह लेने की बातें हो रही हैं. एक स्विस स्टडी में पाया गया है कि एआई चैटबोट्स इंसानों की तरह ही घबराहट महसूस कर सकते हैं. अध्ययन में यह जांच की जा रही थी कि क्या एआई इंसानी थेरेपिस्ट या डॉक्टर की जगह ले सकते हैं या नहीं.
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पाया गया कि ओपन एआई का चैटजीपीटी हिंसात्मक और भारी सदमे वाले महौल में तनाव के संकेत दिखाता है. लेकिन जब भी दिमागी शांति की कसरतों से एआई को जोड़ा जाता है, एआई की घबराहट में कमी आ जाती है. यही कारण है कि शोधकर्ताओं ने यहा भी सुझाव दिया था कि एआई कभी भी लोगों की मानसिक सेहत संबंधी सलाह देने के काम कभी नहीं कर पाएगा.
March 14, 2025, 12:38 IST
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