ब्रिटिश अंटार्कटिक सर्वे ने तैयार किया अंटार्कटिका का विस्तृत नक्शा

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वैज्ञानिकों ने ब्रिटिश अंटार्कटिक सर्वे में बर्फ के नीचे छिपे अंटार्कटिका के नए नक्शे ‘Bedmap3’ की झलक दिखाई. अगर धरती के बर्फीले रेगिस्तान अंटार्कटिका का बर्फ पिघल जाएगा, तो इसमें पहाड़, नदियां और गहरे गड्ढे द…और पढ़ें

जब पिघल जाएगी बर्फ, तब ऐसा दिखेगा बर्फीला रेगिस्तान, वैज्ञानिकों ने दिखाई झलक!

इस नक्शे को ब्रिटिश अंटार्कटिक सर्वे ने जारी किया है.

अंटार्कटिका, जो आज बर्फ से ढका एक ठंडा और सुनसान महाद्वीप है, कभी हरा-भरा और जीवन से भरा हुआ था. यह विश्वास करना मुश्किल है, लेकिन हजारों मीटर मोटी बर्फ की चादर के नीचे उस प्राचीन भूभाग का राज छिपा है, जिसे आज तक किसी इंसान ने नहीं देखा. ब्रिटिश अंटार्कटिक सर्वे ने पिछले कई दशकों से इस रहस्य को उजागर करने की कोशिश की है. रडार, ध्वनि तरंगों और गुरुत्वाकर्षण मैपिंग के ज़रिए उन्होंने बर्फ के नीचे छिपे भूभाग का सबसे विस्तृत नक्शा तैयार किया है, जिसे Bedmap3 नाम दिया गया. यह नक्शा न केवल प्राचीन पहाड़ों, नदियों और मैदानों को दिखाता है, बल्कि जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को समझने में भी वैज्ञानिकों की मदद करेगा.

ब्रिटिश अंटार्कटिक सर्वे की इस टीम का नेतृत्व ग्लेशियोलॉजिस्ट हामिश प्रिचर्ड ने किया. उन्होंने बताया कि यह नक्शा बर्फ और जमीन के बीच जटिल संबंध को समझने के लिए बेहद अहम है. प्रिचर्ड कहते हैं, “जैसे एक केक पर सिरप डालने से उसकी सतह के उभार और गड्ढे सिरप के बहने की दिशा तय करते हैं, वैसे ही अंटार्कटिका में बर्फ के नीचे की चट्टानें यह तय करती हैं कि बर्फ कहां तेज़ी से बहेगी.” Bedmap3 में 277 बर्फ मोटाई सर्वेक्षणों से 8.2 करोड़ डेटा पॉइंट्स शामिल हैं, जो पिछले नक्शों की कमियों को पूरा करते हैं. इस नक्शे से पता चला कि अंटार्कटिका की सबसे मोटी बर्फ 76.052 डिग्री दक्षिण और 118.378 डिग्री पूर्व पर है, जहां एक अनाम घाटी में बर्फ की मोटाई 4,757 मीटर (15,607 फीट) है. पहले यह जगह एडेली लैंड के एस्ट्रोलैब बेसिन में मानी जाती थी. नक्शे ने दक्षिणी ध्रुव, अंटार्कटिक प्रायद्वीप की तट रेखा, पश्चिमी अंटार्कटिका और ट्रांसअंटार्कटिक पहाड़ों जैसे क्षेत्रों को भी साफ किया.

ये है विस्तृत नक्शा.

अंटार्कटिका में कुल 27.17 मिलियन घन किलोमीटर बर्फ है, जो 13.63 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र को ढकती है. बर्फ की औसत मोटाई, शेल्फ सहित, 1,948 मीटर है और शेल्फ को छोड़कर 2,148 मीटर. अगर यह सारी बर्फ पिघल जाए तो समुद्र का स्तर 58 मीटर तक बढ़ सकता है. कार्टोग्राफर पीटर फ्रेटवेल का कहना है, “हमें अब पता चला कि अंटार्कटिक बर्फ की चादर पहले की सोच से मोटी है और इसमें ज़्यादा बर्फ समुद्र तल से नीचे की चट्टानों पर जमी है. यह गर्म समुद्री पानी के बढ़ते प्रभाव से पिघलने के खतरे को बढ़ाता है.” बता दें कि यह नक्शा विमानों, सैटेलाइट्स, जहाज़ों और कुत्तों की स्लेज टीमों से इकट्ठा किए गए डेटा का नतीजा है. यह न केवल अंटार्कटिका के प्राचीन भूगोल को दिखाता है, बल्कि यह भी बताता है कि जलवायु परिवर्तन के कारण यह महाद्वीप कितना कमज़ोर हो सकता है. वैज्ञानिकों का मानना है कि यह जानकारी भविष्य में बर्फ के बहाव और समुद्र स्तर में बदलाव की भविष्यवाणी करने में मदद करेगी. इस शोध को साइंटिफिक डेटा में प्रकाशित किया गया है.

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