ये है मुस्लिमों का बनारस! यहीं लेना चाहते हैं आखिरी सांस, मौत के बाद मिलती है जन्नत

Last Updated:

इराक में एक ऐसी जगह है, जिसे मुस्लिमों का बनारस भी कहा जा सकता है. जिस तरह से हर हिंदू मौत के बाद बनारस में ही अपना दाह संस्कार करवाना चाहता है. उसी तरह शिया समुदाय के लोग इसी कब्रिस्तान में दफ़न होने की इच्छा र…और पढ़ें

ये है मुस्लिमों का बनारस! यहीं लेना चाहते हैं आखिरी सांस, मिलती है जन्नत

शिया समुदाय के लोगों के लिए सबसे पवित्र जगह है ये कब्रिस्तान (इमेज- फाइल फोटो)

इंसान की जिंदगी का सबसे बड़ा सच है मौत. इसे कोई झुठला नहीं सकता. जिसने आज जन्म लिया है उसे एक ना एक दिन मरना ही है. आम तौर पर शहरों में हर धर्म के हिसाब से कब्रिस्तान या श्मशान का निर्माण किया जाता है. लेकिन इराक के नजफ़ में तो एक कब्रिस्तान कई शहरों के बराबर बड़ा है. इस कब्रिस्तान में अस्सी लाख से ज्यादा लोगों को दफनाया गया है. अगर आप आसमान से इस कब्रिस्तान को देखेंगे तो घबरा जाएंगे.

हम बात कर रहे हैं वादी-ए-सलाम-कब्रिस्तान की. नफज में स्थित इस कब्रिस्तान को शान्ति की घाटी भी कहा जाता है. शिया समुदाय के लिए ये शहर काफी पवित्र है. ये कब्रिस्तान लगभग 14 हजार 85 एकड़ जमीन में फैला है. इसमें अस्सी लाख से ज्यादा कब्रें मौजूद है. कई कब्रों के ऊपर परिजनों ने अपने प्यारों की तस्वीर याद स्वरुप लगा रखी है. इस कब्रिस्तान में जाने के लिए कलेजा काफी मजबूत करना पड़ता है. दिन के उजाले में भी यहां अजीब सी खामोशी छाई रहती है.

Leave a Comment