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Ajab- Gajab: धर्मशाला में 6 महीने पहले छोड़ी गई गाय “काकी” अपने मालिक तक पहुंच गई. क्रांति संस्था ने इस टैग के माध्यम से गाय के मालिक को ट्रैक किया और उसे वापस घर भेजने में मदद की.

कूड़ा खाती हुई गाय
हाइलाइट्स
- धर्मशाला में 6 महीने बाद गाय अपने मालिक के पास पहुंची।
- क्रांति संस्था ने टैग से मालिक का पता लगाया।
- संस्था ने 1250 से अधिक पशुओं को मालिकों के पास लौटाया।
कांगड़ा. आजकल सड़कों पर आपको कई बेसहारा पशु मिलेंगे, जिनके कानों पर टैग लगे होते हैं. इन टैग्स के माध्यम से आप जान सकते हैं कि ये पशु किसके हैं. धर्मशाला के भागसू में 6 महीने पहले छोड़ी गई एक गाय, जो कई दिनों से कूड़ा खाने के लिए मजबूर थी, दरअसल उसके मालिकों द्वारा छोड़ी गई थी. काकी नाम की यह गाय काफी कमजोर और दुबली हो गई थी और उसकी हालत दिन-ब-दिन खराब होती जा रही थी.
धर्मशाला की क्रांति संस्था, जो पशुओं की रक्षा के लिए कई सालों से काम कर रही है, उनको जब इस बात का पता चला तो उन्होंने गाय के कान पर लगे टैग के माध्यम से जानकारी निकाल ली कि यह गाय किसकी है. संस्था के सदस्यों ने जब गाय के मालिक को फोन किया तो उसने उल्टा उन्हें ही डांट दिया. आपको बता दें कि गाय का नाम काकी था और वह कंड निवासी राजकुमार की थी. राजकुमार उसी दिन गाय को घर वापस ले गया.
धीरज महाजन का घर वापसी अभियान
संस्था द्वारा Shame Campaign पिछले 6 सालों से चलाया जा रहा है और अब तक लगभग 1250 से अधिक गायों और अन्य पशुओं को उनके मालिकों के पास वापस भेजा गया है और उन पर निगरानी भी रखी गई है.
धीरज महाजन ने क्या कहा
इस घटना के बारे में धीरज महाजन ने बताया कि जैसे ही उन्हें पता चला, उन्होंने टैग के माध्यम से मालिक का पता लगाया और उसे चेतावनी दी. मालिक राजकुमार, निवासी कंड, उसी दिन काकी को वापस अपने घर ले आया. धीरज ने कहा कि जब तक ऐसे लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई नहीं होगी, तब तक कोई सुधार नहीं होगा.
Kangra,Himachal Pradesh
February 10, 2025, 18:20 IST
धर्मशाला की बेसहारा गाय, 6 महीने बाद अपने मालिक के पास पहुंची, जानें कैसे