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Holi 2025 Special: सागर जिले की आदिवासी महिलाएं अब प्राकृतिक रंग और हर्बल गुलाल बना कर न सिर्फ घर बैठे आमदनी कमा रही हैं, बल्कि लोगों को केमिकल मुक्त रंग भी उपलब्ध करा रही हैं.

गुलाल बनाती महिलाएं
हाइलाइट्स
- आदिवासी महिलाएं प्राकृतिक रंग और हर्बल गुलाल बना रही हैं.
- फल और सब्जियों से बने रंग त्वचा के लिए फायदेमंद हैं.
- एक पैकेट हर्बल गुलाल की कीमत ₹20 है.
सागर. पालक, धनिया, अमरुद, केल, चुकंदर यह वह फल और सब्जियां हैं, जिन्हें खाने से शरीर को जरूरी पोषक तत्व मिलते हैं, लेकिन अब इन्हीं सब्जियों के पत्ते से महिलाएं हर्बल गुलाल बनाकर पैसे कमा रही हैं और समाज को प्राकृतिक रंग उपलब्ध करा रही हैं. इन आदिवासी महिलाओं ने पिछले सालों में बढ़ रही नेचुरल गुलाल की डिमांड को देखते हुए यह नवाचार किया है, जो दो तरह से फायदेमंद है. एक तो इसमें महिलाओं की घर बैठे आमदनी बढ़ेगी, तो दूसरा लोग केमिकल मुक्त आबीर गुलाल से होली खेलेंगे, जिसकी वजह से उनकी स्किन पर कोई विपरीत प्रभाव नहीं पड़ेगा,
प्राकृतिक रंग और गुलाल बनाने में पहले यह महिलाएं पत्ते एकत्रित करती हैं. उनको कूटती हैं, फिर इनको धूप में सुखाती हैं, फिर इसके बाद मिक्सी से ग्राइंड करती हैं. इसमें आरा रोड मिलाती हैं, फिर गुलाल के पैकेट तैयार करते हैं. एक पैकेट की कीमत₹20 होती है.
सब्जियां और फलों के अलावा यह प्राकृतिक रंग बनाने के लिए टेसू और सेमल के फूलो का भी उपयोग कर रही हैं. सागर जिले में राधा रानी गौशाला का संचालन करने वाली लक्ष्मी स्व सहायता समूह की महिलाएं पिछले 5 सालों से इसी तरह कुछ नया करती हैं, यह महिलाएं आजीविका मिशन के तहत अपना समूह बनाए हुए हैं जिसके माध्यम से इस तरह काम कर रही हैं.
बता दें कि होली पर आजकल केमिकल युक्त रंग आने लगे हैं, जो किसी की त्वचा पर भारी नुकसान कर देते हैं और फिर उन्हें महंगी दवाइयां करवानी पड़ती हैं. ऐसे में लोग अब केमिकल रंगों से दूर होते जा रहे हैं, और नेचुरल रंग गुलाल की डिमांड बढ़ने लगी है. इसी को देखते हुए महिलाओं ने यह गुलाल तैयार की है.
आजीविका मिशन के विकासखंड प्रबंधक राधे तिवारी बताते हैं कि आदिवासी महिलाओं ने आत्मनिर्भर बनने के लिए 4 साल से गौशाला का सफल संचालन कर रही हैं. पिछले साल इन लोगों के द्वारा होलिका दहन के लिए गोबर के गोकास्ट बनाए थे, ताकि पेड़ों को काटने से बचाया जाए इस साल भी यह को कास्ट तैयार किए ,हैं लेकिन इसके साथ-साथ प्राकृतिक रंग और गुलाल भी बनाई है. इन्हें जो सामग्री तैयार की है उसकी बिक्री हो जाए इसके लिए हम लोगों के द्वारा भी प्रयास किया जा रहे हैं.
Sagar,Madhya Pradesh
March 09, 2025, 12:04 IST
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